#इंजीनियर दिवस
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🎋संत रामपालजी महाराज का जीवन परिचय व् आध्यात्मिक संघर्ष🎋
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में जाट किसान परिवार में हुआ, जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संत ऱामपालजी महाराज हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। इसी दौरान संत रामपाल जी महाराज जी ने 17 फरवरी सन् 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को परम संत रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त की। उनके अनुयायी इस दिवस को बोध दिवस के रूप में मनाते हैं।
अपने गुरु जी से नाम दीक्षा लेकर दृढ भक्ति करने के बाद संत रामपाल जी महाराज जी को 1994 में स्वामी रामदेवानंद जी ने आदेश दिया कि अब आप लोगों को नाम दीक्षा दिया करो। अपने गुरुजी की आज्ञा को मानकर संत रामपाल जी महाराज ने 18 साल की अपनी नौकरी से 21/05/1995 को इस्तीफा दे दिया और पूर्णतः नामदान देने लग गए।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों के आधार पर लोगों को तत्वज्ञान का भेद करा रहे हैं व् लोगों को पाखंडवाद से मुक्त कर शास्त्रानुसार कबीर साहेब की सतभक्ति करने के लिए जागृत कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के माध्यम से लोगों को यह बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, हमें किस तरह से मनुष्य जीवन में रहना चाहिए, किस की भक्ति करनी चाहिए, शास्त्रानुसार वास्तविक भक्ति विधि क��या है इन सबकी जानकारी बताते हैं।
सतगुरु रामपाल जी महाराज को लोगों तक वास्तविक तत्वज्ञान पहुँचाने के लिए अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव गाँव, नगर नगर जाकर सत्ज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नही सका।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही आज उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है।
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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🎋संत रामपालजी महाराज का जीवन परिचय व् आध्यात्मिक संघर्ष🎋
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में जाट किसान परिवार में हुआ, जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संत ऱामपालजी महाराज हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। इसी दौरान संत रामपाल जी महाराज जी ने 17 फरवरी सन् 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को परम संत रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त की। उनके अनुयायी इस दिवस को बोध दिवस के रूप में मनाते हैं।
अपने गुरु जी से नाम दीक्षा लेकर दृढ भक्ति करने के बाद संत रामपाल जी महाराज जी को 1994 में स्वामी रामदेवानंद जी ने आदेश दिया कि अब आप लोगों को नाम दीक्षा दिया करो। अपने गुरुजी की आज्ञा को मानकर संत रामपाल जी महाराज ने 18 साल की अपनी नौकरी से 21/05/1995 को इस्तीफा दे दिया और पूर्णतः नामदान देने लग गए।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों के आधार पर लोगों को तत्वज्ञान का भेद करा रहे हैं व् लोगों को पाखंडवाद से मुक्त कर शास्त्रानुसार कबीर साहेब की सतभक्ति करने के लिए जागृत कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के माध्यम से लोगों को यह बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, हमें किस तरह से मनुष्य जीवन में रहना चाहिए, किस की भक्ति करनी चाहिए, शास्त्रानुसार वास्तविक भक्ति विधि क्या है इन सबकी जानकारी बताते हैं।
सतगुरु रामपाल जी महाराज को लोगों तक वास्तविक तत्वज्ञान पहुँचाने के लिए अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव गाँव, नगर नगर जाकर सत्ज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नही सका।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही आज उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है।
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अभियंता दिवस पर याद किए गए सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया 🧰👨🏻🔧
क्विज में बादल प्रसाद, स्कैचिंग में दीपक सेन और पेंटिंग प्रतियोगिता में भूमि जैन ने बाजी मारी
मेवाड़ विश्वविद्यालय में बुधवार को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय के तत्वाधान में अभियंता दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के देश के प्रति किए गए महान कार्याें को याद किया गया और उनके जीवन पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री भी विद्यार्थियों को दिखाई गई। इस मौके पर विद्यार्थियों ने भी विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए। वहीं क्विज, स्कैचिंग और पेंटिंग प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को शील्ड और सर्टिफिकेट प्रदान करके पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत कुलपति डॉ. आलोक मिश्रा, कला और संस्कृति विभाग की महानिदेशिका प्रो.(डॉ.) चित्रलेखा सिंह, इजीनियरिंग संकाय के डिप्टी डीन कपिल नाहर, डॉ. एसार अहमद, शशिवेेंद्र दुलावत आदि ने सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की और उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प दोहराया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. (डॉ.) आलोक मिश्रा ने महान इंजीनियर सर मोक्षगुंडम के जीवन पर प्रकाश ड़ालते हुए कहा कि उनके अथक प्रयासों ने समाज को नई दिशा दी और उन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कई अभूतपूर्व कार्य किए जिनको आज भी याद किया जाता है। समाज को प्रगति की ओर एक इंजीनियर ही ले जाता है और आज का दिन विज्ञान व अन्य तकनीकी के अद्भुत सफर को सलाम करने का दिन है। महान इंजीनियर सर मोक्षगुंडम ने असाधारण योगदान से राष्ट्र निर्माण और विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया है। उनकी औद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रहीं। उन्होंने कई डैम्स और जल प्रबंधन प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व किया है जिनमें कर्नाटक स्थित कृष्णराज सागर डैम का निर्माण प्रमुख है। वर्ष 1955 में सर मोक्षगुंडम को भारत के सर्वाेच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वह प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए। कार्यक्रम का समापन करते हुए कपिल नाहर ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान कुलपति डॉ. मिश्रा ने इजीनियरिंग के क्षेत्र से संबंधित कई प्रश्�� विद्यार्थियों से पूछे और छात्रों ने भी उनका वाजिब जवाब दिया। इस मौके पर सहायक प्रोफेसर अभिषेक उपाध्याय और हरिओम गांधर्व ने भी प्रेरक गीत सुनाकर विद्यार्थियों में जोश भर दिया।
विभिन्न प्रतियोगिता के प्रतिभागी हुए पुरस्कृतः कोर्डिनेटर निरमा कुमारी शर्मा ने बताया कि क्विज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर बादल प्रसाद नायक, द्वितीय स्थान हर्ष राज और तृतीय स्थान राजन रजक ने प्राप्त किया। स्कैचिंग में प्रथम स्थान दीपक सेन, द्वितीय स्थान रतन रेगर और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले बप्पा बर्मन को पुस्कृत किया गया। पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान भूमि जैन, द्वितीय स्थान लाल सिंह और तृतीय स्थान पर दिव्यांशी सचान ने बाजी मारी।
#HappyEngineersDay #MewarUniversity #FutureEngineersngineers #practicallearning #InnovatewithEngineers #EngineeringforChange #EngineeringMinds
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इंजीनियर दीपक देव को सर्वश्रेष्ठ अभियंता सम्मान
रायपुर, 15 सितंबर 2024। छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग में उप संभाग रायपुर के अनुविभागीय अधिकारी, इंजीनियर दीपक देव को अभियंता दिवस पर सर्वश्रेष्ठ अभियंता सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें जलाशयों के हेड कार्य और नहर लाइनिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रदान किया गया। अभियंता दिवस के इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त अभियंता आयोजन समिति द्वारा किया गया, जिसमें रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल…
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‘आर्टिफिसियल इंटेलिजेंट एक अवसर या चुनौती?’ विषय पर परिचर्चा
इटारसी। इटारसी इंजीनियर एसोसिशन ने आज यहां प्लेटिनम रिसोर्ट में इंजीनियर दिवस मनाया। इस अवसर पर पूर्व विधायक व इंजीनियर गिरजाशंकर शर्मा मुख्य अतिथि थे। विशेष अतिथि विधायक डॉ सीतासरन शर्मा, नगर पालिका अध्यक्ष पंकज चौरे, जनपद अध्यक्ष भूपेन्द्र चौकसे, नगरपालिका की सहायक अभियंता श्रीमती मीनाक्षी चौधरी, अल्ट्राटेक के टेरिटोरियल हेड बीके मिश्रा, अल्ट्राटेक के टेरिटोरियल मैनेजर प्रशांत साहू भी उपस्थित…
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#संतरामपालजी_का_संघर्ष
संघर्ष
संत रामपाल जी महाराज
74 वां
अवतरण दिवस
संत रामपाल जी महाराज वह महान संत हैं जिन्होंने मानव समाज के कल्याण के लिए अपनी जेई (जूनियर इंजीनियर) की नौकरी त्याग दी और घर घर जाकर परमात्मा के सत्य ज्ञान का प्रचार अपने सत्संगों के माध्यम से किया।
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14 September Hindi Diwas Par Visesh : हिन्दी की उपयोगिता क्या असंभव है?
14 सितंबर 2024 राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर विशेष:
आज से पचपन वर्ष पूर्व हिन्दी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव अहिन्दी भाषियों ने रखा था, जिसका अनुमोदन व समर्थन भी अधिकतर अहिन्दी भाषियों ने ही किया था जिनमें प्रमुख है तमिल भाषी गोपाल स्वामी अयंगार ने प्रस्ताव रखा तो समर्थन व अनुमोदन करने वालों में मराठी भाषा के श्री शंकर देव, उर्दू भाषा के मौलाना अबुल कलाम आजाद, गुजराती के श्री के. एम. मुंशी, तेलुगु भाषी श्रीमती दुर्गाबाई, कन्नड़ भाषी श्री कृष्णमूर्ति थे। आज की परिस्थितियाँ क्या है हिन्दी की तूंती केवल हिन्दी भाषी ही बजा रहे हैं अथवा हिन्दी से संबंधित, हिन्दी से जुड़े लोग ही 'हिन्दी हिन्दी' कह रहे हैं, चिल्ला रहे है, 'हिन्दी दिवस' आदि मना रहे है, जबकि उनकी अपनी संतान ही हिन्दी समाचार पत्र के शीर्षक तक पढ़ने में अपने आपको छोटा मानने लगे है। अभी अभी हैदराबाद के प्रसिद्ध हिन्दी प्रशिक्षण महाविद्यालय के भूतपूर्व प्राचार्य जी की मरणोपरांत समस्त पुस्तक संपादा चने-बटाने की दुकानों पर पुड़ियाँ बाँधने में काम आ रहे है। हम हमारे पूर्ववर्ती पीढ़ी से कुछ हिन्दी, स्वभाषा, स्वदेश प्रेम सीखे थे वही हम हमारी परवर्ती पीढ़ी को अपने वारिस को क्या बना कर छोड़ रहे हैं, उनके मन में हमारे प्रति हमारी पुस्तकों के प्रति कोन-सी धारना उत्पन्न कर पा रहे हैं। वे अंग्रेजी माध्यम से पढ़े इंजीनियर डाक्टर, आफिसर कलेक्टर बने इसमें कोई आपत्ति नहीं है पढ़ने तथा हिन्दी के कार्यान्वयन के प्रति क्यों प्रेरित कर नहीं पा रहे है। हिन्दी तब ही पनपेगी, उभरेगी जब अहिन्दी भाषी हिन्दी का प्रयोग करें, अंग्रेजी विद्धान ��था अंग्रेजी वीर अभिमानी भी हिन्दी में बात करने, पढ़ने और कुछ लिखने में स्वयमेव गौरव का अनुभव कर सके।
आज हिन्दी की वह स्थित नहीं जो पहले केवल साहित्यिक तक ही सीमित थी। अब तो ऑक्स्फ़ोर्ड शब्द कोश में ढेर सारे हिन्दी शब्दों को अंकित किया गया। दुनिया के कोने-कोने में हिन्दी का प्रयोग धीरे-धीरे हो रहा है। कंम्यूटर पर हिन्दी में कार्य करने के लिए हिन्दी में श्रीलिपिण लीप ऑफिस, आई-लीप, 'गुरु' मल्टीमीडिया, अक्षर, आकृति जैसे कई सॉफ्टवेयरों का निर्माण कार्य गति से चल रहा है। कंप्यूटर क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसाफ्ट ने अपना बहुप्रसिद्ध उत्पाद एम. एस. ऑफिस और विंडोस हिन्दी में भी उपलब्ध करा रही है। अमेरिका में विशेषकर मैक्सिकों में विदेशी युवा हिन्दी सीख रहे है। सिलीकान वैली में भारतीय इंजीनियरों का बोल-बाला रहने के कारण उनके यहाँ काम करने व सहयोग देने हेतु कई विदेशी बच्चे हिन्दी सीख रहे हैं और हम विदेश भागने के लिए हिन्दी छोड़ अंग्रेजी ही रट लगाए बैठे हैं। अपनी धारणा बदलनी होगी, हमें हिन्दी को सुदृढ़ बनाना है तो हमें पहले अंग्रेजी भाषा पर भी समान प्रवीणता प्राप्त करनी होगी अन्यता वही कहेंगे कि हिन्दी वालों को अग्रेजी नहीं आती है, वे अंधा-घूंध अंग्रेजी की अहमियत जाने बगैर ही अंग्रेजी का विरोध कर रहे हैं, वे अंग्रेजी विरोधी है, कहकर हमें सभी के विरोधी करार दिये जा रहा है अतः हमें अंग्रेजी का विरोध नहीं अंग्रेजीयत के 'लत' का विरोध करना है। हिन्दी से जुड़े लोग हिन्दी की बात या 'हिन्दी दिवस', हिन्दी सप्ताह/ पखवाडे' मनाने अपना ढोल अपनी बीन आप बजाय जैयी बात लगेगी। अतएव हमें हिन्दी के स्थान के साथ-साथ प्रादेशिक भाषाओं को भी बढ़ावा देने से ही हिन्दी की उपयोगिता व कार्यान्वयता बढ़गी, अपन निजी व्यवहार में भी प्रादेशिक भाषाओं में वार्ताला�� करने-मेल-मिलाप बढ़ाने, तत्संबंधित गति विधियों में भाग लेने से आवश्यकतानुसार अंग्रेजी में भी कार्य करते हुए हिन्दी को आगे बढ़ाना होगा। सच कहा जाए तो विद्यालय और महाविद्यालयों में हम हिन्दी अध्यापनाकर्ता अंग्रेजी न जानने वाले नमूने गिने जाने के कारण ही हमारा कार्य व व्यवहार गंभीर तथा आदर्श नहीं रहने के कारण भी अपनी कुल्हाड़ी अपने पैर पर चलाने के आदि हो गए हैं। हिन्दी की कार्यान्वयन की समस्या वास्तव में कोई समस्या ही नहीं है, यह तो केवल मानसिक स्थिरता और साहसिक पहल की बात है। हम अपनी आत्मा को टटोलकर पूछे कि अपनी निजी व्यवहार में क्या हिन्दी का प्रयोग कर रहे हैं कम से कम प्रति दिन हम कितने शब्द लिखते हैं और पढ़ते हैं। आज हम सब 'साक्षर' है परंतु 'स्वाक्षर' नहीं। पिछली बार हमने देखा विगत सरकार का पलड़ा कैसे पलट गया उसका एक मात्र कारण उनके द्वारा अपनायी गई नीति व व्यवहार कुशलता थी, जो 'फील-गुड' के अंग्रेजी शब्द का प्रचार कर गये जिसे हिन्दुस्तानी समझ नहीं पाये और उसी सरकार के सूत्रधार कहे हिन्दी पत्र पत्रिकाओं की समीक्षा को छोड़ विदेशी पत्र-पत्रिकाओं तथा अंग्रेजी पत्रिकाओं और 'लैप- टैप' पर ही संपूर्ण विश्वास रखा। जमीनी जरुरतों व जमीनी भाषा का अनदेखा का प्रभाव सरकार पलटने में काम कर सकती है तो क्या प्रशासन व शासन करने में क्या अपना प्रभाव नहीं दिखा सकता। अतः अपना देश, अपना वेश, अपनी भाषा अपना कार्य ही अपने लिए श्रेयस्कर सिद्ध होगा।
Happy Hindi Diwas 2024
हिन्दी दिवस पर अधिक आलेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें : राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस
Hindi Day Special Videos : Hindi Diwas Playlist
Dr. Mulla Adam Ali Hindi Language and Literature Blog
डॉ. मुल्ला आदम अली हिंदी भाषा और साहित्यिक यूट्यूब ��ैनल
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चमन का राजा गणेश मंडल का भव्य भूमिपूजन
Grand Bhoomi Pujan of Chaman Ka Raja Ganesh Mandal जालना (प्रतिनि��ि) : पुराने जालना क्षेत्र के प्रतिष्ठित चमन का राजा गणेश मंडल के सभामंडप का स्वतंत्रता दिवस पर गुरुवार (15 अगस्त) को गांधी चमन परिसर में उद्योजक इंजीनियर विजय इगेवार, जय बजरंग फाउंडेशन के संस्थापक विपुल रॉय, उद्योजक शैलेश पाथरवालकर के हाथों विधिवत भूमिपूजन किया गया. इस अवसर पर चमन का राजा के सदस्य विक्रम गाढे, मंगेश चव्हाण,…
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ग्रामोदय विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकारों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन
विश्व जल दिवस पर भी हुए व्याख्यान जल संरक्षण के सार्थक उपायों को प्रदर्शित किया जायेगाबौद्धिक संपदा अधिकार और पेटेंट प्रक्रिया पर जानकारी दी गईचित्रकूट 22 मार्च 2024 आज महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के सीएमसीएलडीपी सभागार में दो दिवसीय बौद्धिक संपदा संपदा अधिकार विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। इंजीनियर पियूष गर्ग पेटेंट कार्यालय कलकत्ता मुख्य अतिथि रहे। दीनदयाल शोध…
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दिव्य संयोग: कबीर साहेब निर्वाण दिवस और संत रामपाल जी महाराज बोध दिवस
किसी भी व्यक्ति के लिए बोध दिवस बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये वह दिन है जब उसे गुरु दीक्षा प्राप्त होती है और इस दिन वह व्यक्ति मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है। वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, 17 फरवरी के दिन को दुनिया के मुक्तिदाता सतगुरु रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर की नौकरी करने वाले संत रामपाल जी ने 37 वर्ष की आयु में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर 17 फरवरी 1988 को अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की थी। उस दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने की अमावस्या थी।
🌱 संत रामपाल जी महाराज का जीवन परिचय और आध्यात्मिक यात्रा
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में हुआ। उन्होंने 1973 में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और फिर हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया। वर्ष 1988 में 17 फरवरी के दिन संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा ली और भगवद् गीता, कबीर सागर, गरीबदास जी द्वारा रचित सतग्र���थ साहेब और सभी पुराणों सहित विभिन्न धर्मों की आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया और फिर संत रामपाल जी ने सत्यज्ञान को शास्त्रों के साथ प्रमाण सहित हम सब के सामने प्रस्तुत किया।
🍀 संत रामपाल जी का आध्यात्मिक संघर्ष और साधना
1993 में स्वामी रामदेवानंद जी ने संत रामपाल जी को उपदेश देने का आदेश दिया और उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना। प्रारंभ में 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी ने हरियाणा के गांव-गांव, नगर-नगर में घर-घर जाकर आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से सत्संग किया और जनता के लिए सच्चा भक्ति मार्ग चलाया। 1995 में उन्होंने जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी छोड़ी और पूर्णकालिक रूप से आध्यात्मिक कार्य में लग गए।
संत रामपाल जी महाराज ने अपने जीवन के दौरान बुराइयों के खिलाफ एक महान युद्ध लड़ा है और लोगों को सत्य की ओर प्रेरित किया है। उनका उद्देश्य समाज में सतभक्ति का प्रचार-प्रसार करना है।
🌺 संत रामपाल जी के साथ नकली संतों का विवाद
संत रामपाल जी की बढ़ती लोकप्रियता से चिढ़कर नकली संतों ने उनके ज्ञान को अपनाने की जगह उल्टे उन पर कई आरोप लगाए। सन् 2006 में आर्य समाज के द्वारा भड़काई गई भीड़ ने संत रामपाल जी महाराज द्वारा संचालित सतलोक आश्रम करौंथा, हरियाणा पर अचानक हमला कर दिया जिसकी सुरक्षा के लिए बुलाई गई पुलिस और भीड़ के बीच हुई झड़प के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस मामले में दर्ज किए गए झूठे मुक़दमे में अंततः सन् 2022 में न्यायालय ने संत रामपाल जी महाराज को पूर्ण रूप से निर्दोष साबित करते हुए बरी कर दिया।
🍁 संत रामपाल जी महाराज के अद्भुत ज्ञान से सत ज्ञान रूपी मोती प्राप्त होते हैं
परमेश्वर कबीर साहेब के प्रतिरूप तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से सत ज्ञान के अनमोल मोती प्राप्त होते हैं। उनके सत्संग में अनेक मार्मिक उद्धरण हैं जो सीधा बुद्धि पर प्रहार करते हैं। संत रामपाल जी महाराज वहीं तत्वदर्शी संत हैं जिन्होंने अंधेरे में लोकवेद के अनुसार चलने वाले साधकों को दीपक हाथ दे दिया है।
परमेश्वर कबीर जी कहते है कि :
कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रस्ते में सतगुरू मिले, दीपक दीन्हा हाथ।।
मनुष्य जीवन का मिलना अत्यंत दुर्लभ है। वृक्ष से टूटे हुए पत्ते के समान यह होता है जो पुनः नहीं लग सकता। यह प्राप्त हो जाए तो इसका सदुपयोग करना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान के अनुसार सच्चा सद्गुरु ही मोक्ष प्राप्त करवा सकता है।
कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार |
जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डार ||
🔰 संत रामपाल जी महाराज ने कबीर साहेब को भगवान सिद्ध ��िया
संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्मग्रंथों से कबीर साहेब को अजर, अमर, सर्वोच्च, कुल मालिक, सर्व सृष्टि के रचनहार, एकमात्र सर्व शक्तिमान, दयालु और सबका पालन पोषण करने वाला परमात्मा सिद्ध किया है। संत रामपाल जी महाराज ने कबीर साहेब और मोक्ष प्राप्ति के लिए गुरु के महत्व को समझाया है तथा बताया कि बिना गुरु के मुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती।
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।
🍀 कबीर साहेब का निर्वाण दिवस
पाठकों, कबीर साहेब के विषय में यह निर्विवाद है कि न तो उनका जन्म हुआ और न ही मृत्यु। कबीर साहेब सशरीर इस पृथ्वी पर अवतरित हुए और हज़ारों लोगों की उपस्थिति में सशरीर सतलोक गए। आज से लगभग 506 वर्ष पूर्व (माघ मास की शुक्ल पक्ष, तिथि एकादशी वि. स. 1575 सन् 1518 को) परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी काशी उत्तरप्रदेश से चलकर मगहर गए और वहां से उन्होंने सशरीर सतलोक गमन किया। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार कबीर साहेब का निर्वाण दिवस इस वर्ष दिनांक 20 फरवरी 2024 को है।
संयोग है कि ठीक इसी समय पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की शिष्य प्रणाली के अंतर्गत वर्तमान के पूर्णसंत सतगुरु रामपाल जी महाराज का बोध दिवस 17 फरवरी को है। इसलिए दोनों दिवस संत रामपाल जी महाराज के सान्निध्य में एक साथ मनाये जा रहे हैं। इस अवसर पर इस साल 10 सतलोक आश्रमों में दिनाँक 17, 18, 19 तथा 20 फरवरी 2024 को 4 दिवसीय खुले पाठ एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। आइए जानते हैं कबीर साहेब के सशरीर सतलोक जाने की लीला की जानकारी।
🌱 कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैं
वेदों में बताया गया है कि पूर्ण परमात्मा प्रत्येक युग में आते हैं। सतयुग में वे सत सुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के नाम से, द्वापरयुग में करुणामय के नाम से तथा कलियुग में अपने वास्तविक नाम कबीर से प्रकट होते हैं।
कबीर साहेब जब आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में काशी के लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर प्रकट हुए थे तब स्वामी रामानंद जी के एक शिष्य ऋषि अष्टानंद जी इस दृश्य के प्रत्यक्ष दृष्टा थे। तत्पश्चात नीरू और नीमा नाम के ब्राह्मण दंपत्ति शिशु रूप में कबीर साहेब को पाकर प्रसन्न हुए और उन्हें अपने साथ ले गए। वेदों में प्रमाण है (ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3) कि परमात्मा माता के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं तथा उनका पालन पोषण कुंवारी गायों से ह��ता है (ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9)।
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
🍁 परमात्मा कबीर साहेब की पृथ्वी पर भूमिका
कबीर साहेब कमल के फूल पर एक शिशु रूप में प्रकट हुए और उन्हें एक जुलाहे दंपति नीरू और नीमा अपने घर ले गए। भगवान ने प्यारी आत्माओं को तत्वज्ञान से परिचित कराकर शास्त्रों के आधार पर सत्यभक्ति प्रदान की। हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों को अपना शिष्य बनाया। उन्होंने कई चमत्कार किए और समाज में तत्वज्ञान, सत्यभक्ति और गुरु की भूमिका स्पष्ट की। उनके द्वारा बताए गए दोहे और साखियाँ समाज में सद्भाव और एकता का संदेश दे रहे हैं। समाज द्वारा दी गई प्रताड़नाओं के बावजूद उन्होंने किसी को बुरा भला नहीं कहा और 120 वर्ष की लीला के उपरांत मगहर जाकर सशरीर अपने शाश्वत लोक सतलोक को गमन कर गए।
काशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावे, ढुंढा ना पाया शरीर।।
🌺 कबीर साहेब का मगहर प्रस्थान और वहां सूखी पड़ी आमी नदी को फिर से बहाना
कबीर साहेब ने अंधविश्वास और रूढ़ियों का खंडन किया और धार्मिक भ्रम को दूर किया। उन्होंने काशी और मगहर के धार्मिक भ्रांतियों को समाप्त किया और लोगों को सच्चे भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित किया।
‘काशी में मरने से स्वर्ग मिलता है’ इसका खंडन करने के लिए कबीर साहेब अपनी लीला के अंत में अपने शिष्यों के साथ काशी से मगहर गए। वहां कबीर साहेब ने अपनी अद्भुत शक्तियों का प्रदर्शन किया और आमी नदी को पुनः बहाया जो कि शिव जी के श्राप से सूख गई थी। उन्होंने लोगों को प्रेम से रहने की सीख दी और उन्हें भक्ति करने के लिए प्रेरित किया। कबीर साहेब ने हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों को आपसी भाईचारे और एकता का महत्व समझाया और उन्हें एक साथ रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने लोगों को धार्मिक भेदभावों को छोड़कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।।
🍀 कबीर साहेब का सतलोक गमन
जब कबीर साहेब लीला के अंत में मगहर पहुँचे तो वहाँ बीरदेव सिंह बघेल और बिजली खां पठान अपनी अपनी सेना लेकर पहुँच गए थे। उनका लक्ष्य था कि कबीर साहेब का अंतिम संस्कार अपने अपने रीति रिवाजों से करना। चाहे उसके लिए उन्हें युद्ध ही क्यों ना करना पड़े वे उसके लिए भी तैयार थे। लेकिन कबीर साहेब के अंतिम संस्कार के समय एक अद्भुत घटना घटी, जिसमें उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित पुष्प मिले। उसी दिन के उपलक्ष्य में कबीर साहेब निर्वाण दिवस मनाया जा रहा हैं। इस चमत्कार ने साबित कर दिया कि पूर्ण परमेश्वर सशरीर आते हैं और सशरीर संसार से सतलोक को ��मन करते हैं।
आदरणीय गरीबदास जी महाराज की वाणी में कबीर साहेब के सतलोक गमन की घटना कुछ इस प्रकार बताई गई है -
तहां कबीर कही एक भाषा, शस्त्रा करै सो ताहीं तलाका।
शस्त्रा करै सो हमरा द्रोही, जा की पैज पिछोड़ी होई।।
सुन बिजली खां बात हमारी, हम हैं शब्द रूप निर्विकारी।
बीर सिंह बघेला विनती करि है, हे सतगुरू तुम किस विधि मरि है।।
तहां वहां चादर फूल बिछाये, सिज्या छाड़ी पदहि समाये।
दो चादर दहूँ दीन उठाई, ताके मध्य कबीर न पाई।।
तहां वहां अबिगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चैरा काशी।
अबिगत रूप अलख निरवाणी, तहां वहां नीर क्षीर दिया छांनी।।
🌀 निर्वाण दिवस और बोध दिवस समारोह 2024
इस साल 17 फरवरी से 20 फरवरी 2024 तक, जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 37वें बोध दिवस और कबीर साहेब के 506वें निर्वाण दिवस के अवसर पर एक विशेष समागम का आयोजन हो रहा है।
• निःशुल्क भंडारा: सभी आगंतुकों के लिए 17 से 20 फरवरी 2024 तक निःशुल्क भंडारे का आयोजन होगा।
• निःशुल्क नाम दीक्षा: इस अद्वितीय अवसर पर संत रामपाल जी महाराज से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त की जा सकती हैं।
• 4 दिवसीय खुले पाठ: 17 से 20 फरवरी 2024 तक, 4 दिनों तक खुले पाठ का आयोजन होगा।
• विशेष सत्संग प्रसारण: 20 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का विशेष प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9:15 बजे (IST) पर होगा।
• सोशल मीडिया प्रसारण: इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण निम्नलिखित सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर भी उपलब्ध होगा:
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आप सभी इस महान अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करें और आध्यात्मिक आयोजन का लाभ उठाएं। वहीं इस कार्यक्रम में आने के लिए आप निम्न स्थानों पर आ सकते हैं:
1. सतलोक आश्रम धनाना धाम, सोनीपत हरियाणा
2. सतलोक आश्रम मुण्डका दिल्ली
3. सतलोक आश्रम धुरी पंजाब
4. सतलोक आश्रम सोजत राजस्थान
5. सतलोक आश्रम शामली उत्तर प्रदेश
6. सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र हरियाणा
7. सतलोक आश्रम भिवानी हरियाणा
8. सतलोक आश्रम खमानो पंजाब
9. सतलोक आश्रम धनुषा नेपाल
10. सतलोक आश्रम बैतूल मध्य प्रदेश
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें ⬇️
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⭐️संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य⭐️
संत रामपाल जी महाराज कौन हैं ?
गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध।।
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ-साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले तत्वदर्शी संत हैं। जिसकी पहचान गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई गई है।
साथ ही विश्व के अनेकों प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं नास्त्रेदमस, फ्लोरेंस, राजस्थान के रामदेवरा वाले रामदेव, जयगुरुदेव, एंडरसन जैसे अनेकों भविष्यवक्ताओं के अनुसार संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान में धरती पर अवतरित तारणहार संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को भारतवर्ष के हरियाणा प्रांत में एक छोटे से गांव - धनाना, तहसील - गोहाना, जिला - सोनीपत में हुआ। संत जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से 37 वर्ष की आयु में नाम दीक्षा प्राप्त हुई।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सतगुरु रामपाल जी महाराज सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को भगवान भरोसे से छोड़कर और एक मात्र आजीविका के साधन जे.ई. की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और चल पड़े बहुत बड़े उद्देश्य को सफल बनाने के लिए।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में अमन चैन कायम हो, आपसी भाईचारा हो, समस्त मानव समाज को तमाम कुप्रथाओं तथा हर बुराइयों से दूर करके सत्य ज्ञान और सतभक्ति प्रदान करना, धरती को स्वर्ग समान बनाना। और इसलिए सतगुरु रामपाल जी महाराज जी अपना सर्वस्व त्याग कर कठिन स��घर्ष कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने सबसे पहला नारा दिया:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू- मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि, सभी मानव जो कि अनेकों अलग अलग धर्मों में बंटे हुए हैं वह सभी फिर से एक हों, क्योंकि सभी मानव एक ही परमेश्वर की संतान हैं। आपस में भाईचारा कायम हो, विश्व में सभी शांति से सुखी जीवन व्यतीत करें। इसी उद्देश्य से संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
नौ मण सूत उलझिया, ये ऋषि रहे झख मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।
आज तक हमारे धर्म ग्रंथों में लिखी हुई वास्तविक सच्चाई, आध्यात्मिक मार्ग के बहुत से ऐसे अनसुलझे रहस्य जो किसी भी धर्मगुरुओं ने नहीं बताया और ना ही कोई समाज सुधार कर सके।
लेकिन सतगुरु संत रामपाल जी महाराज ने नौ मण सूत रुपी आध्यात्मिक ज्ञान को ऐसा सुलझा दिया है कि अब आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति मार्ग में किसी को कोई शंका ही नहीं बची। संत रामपाल जी महाराज ने हमारे सदग्रंथों को खोलकर प्रमाण के साथ सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और सतभक्ति मार्ग, पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्र बताया। साथ ही समाज सुधार भी कर रहे हैं। आज़ लाखों लोगों ने संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके दिक्षा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलकर सभी बुराईयों तथा कुरीतियां जैसे कि दहेज, नशा, मृत्यु भोज, पाखंडवाद, अंधविश्वास, भ्रूणहत्या, चोरी, ठगी, बेईमानी, जीव हत्या, अपहरण, फिल्म, सिरियल, नाच गाना आदि त्यागकर नेक इंसान बनकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संत जी के अनुयायी मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। संत जी के बताए मार्ग पर चलकर उनके करोड़ों अनुयाई परमार्थ सेवा में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा जगह जगह रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है, ताकि मुश्किल समय में किसी की जान बचाई जा सके।
नशा एक अभिशाप:-
संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए सत्संगो में नशे से होने वाले नुक़सान और पाप के बारे में बताया जाता है, जिससे लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया और सुखमय जीवन जीने लगे हैं। लोग नशीली वस्तुओं को छूते तक नहीं है। और ना ही नशीली वस्तुओं के लिए किसी का सहयोग करते हैं। और इसलिए आज़ बहुत से नशे के कारण उजड़े हुए परिवार फिर से नशा मुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जीव हत्या महापाप:-
जैसा दर्द आपने होवे, वैसा जान बिरानै।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि, अपने फैशन और जीभ के स्वाद की खातिर मासूम जीवों को बेरहमी से मारते हो। जब आपको थोड़ी सी चोट लगने पर दर्द होता है, तो क्या उन बेजुबानों को दर्द नहीं होता जिनका आप गला काटते हों। ऐसा पाप कर्म करने वाले को नरक में भी स्थान नहीं मि��ता। इसलिए आज़ संत रामपाल जी महाराज जी का कोई भी अनुयाई चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करते।
परनारी को देखिए बहन बेटी के भाव:-
संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी पराई स्त्री को मां, बहन बेटी की दृष्टि से देखते हैं। जिससे समाज में बहन बेटियों को सम्मान मिलता है। अपहरण, रेप जैसी घटनाएं बंद होंगी। बहन बेटियां भी सुरक्षित महसूस करती हैं।
संत रामपाल जी महाराज से
दिक्षा लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे पहला नियम यही है कि, समस्त बुराईयों से आजीवन दूर रहने तथा आजीवन नशा न करना, न छूना, साथ ही सभी मर्यादा निभाने का संकल्प लिया जाता है।
ऐसे समाज सुधारक परम संत जिनका मुख्य उद्देश्य है कि, सभी मानव बुराईयों तथा कुरीतियों से मुक्त होकर शांति से रहें, आपसी भाईचारा कायम हो, फिर से भारत विश्व गुरु तथा सोने की चिड़िया कहलाए, समाज में छुआ-छूत, जाति मजहब के झगड़े कभी न हो, धरती स्वर्ग समान बने इसके लिए जेल में रहते हुए भी कठीन संघर्ष कर रहे हैं। अलग अलग पंथों द्वारा फैलाए गए अज्ञान के किलों का नाश करने के लिए घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अपने जीवन के कितने कीमती वर्ष जेल में भी बिताने पड़े । लेकिन फिर भी
अपने उद्देश्य को लेकर डटे रहे, अपने मानव कल्याण के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया, अनेकों अत्याचार सहे, झूठे मुकदमे झेले, जेल तक चले गए, अपनी जान की भी परवाह नहीं की। लेकिन इन सबकी परवाह ना करते हुए। संत रामपाल जी महाराज मानव सेवा, समाज सुधार और जन जन तक सतभक्ति पहुंचाने में सफल हुए। एक अद्भुत अद्वितीय कार्य को शिखर पर पहुंचाया। जिससे आज़ सर्व मानव समाज को सतभक्ति सुलभ हुई। मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य का ही परिणाम है कि आज़ विश्वभर में लोग बुराईयों को त्यागकर सतभक्ति करते हुए शांति पूर्ण जीवन जी रहे हैं।
समस्त मानव समाज से निवेदन है कि आप सभी संत रामपाल जी महाराज जी को पहचानकर उनकी शरण ग्रहण करें और अपना अनमोल मनुष्य जीवन सफल बनाएं।
#SantRampalJiBodhDiwas
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
#TheMission_Of_SantRampalJi
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*🎄संत रामपाल जी महाराज जी के जीवन की संघर्षपूर्ण अद्भुत क्रांतिकारी यात्रा🎄*
संघर्ष की राह आसान नहीं होती।
सच को सबके सामने लाने तथा सभी बुराइयों को जड़ से समाप्त करने का बीड़ा उठाया है महान संत रामपाल जी महाराज ने। जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव- धनाना, जिला - सोनीपत, हरियाणा में एक जाट किसान के घर हुआ।
संत रामपाल जी महाराज जी पढाई पूरी करके हरियाणा में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। 37 वर्ष की आयु में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से 17 फरवरी 1988, फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्रि में नाम दीक्षा प्राप्त हुई। दीक्षा दिवस को संतमत में उपदेश लेने वाले भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है। और उसी दिन से सक्रिय होकर भक्ति मार्ग में लीन होकर परमात्मा का साक्षात्कार किया।
17 फरवरी को हर वर्ष संत रामपाल जी महाराज जी का बोध दिवस मनाया जाता है।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सत्संग करने की तथा 1994 में नाम दीक्षा देने की आज्ञा दी। इसके बाद संत रामपाल जी महाराज जी चल पड़े मानव कल्याण के एक अद्भुत मिशन को लेकर कठिन राह पर चल पड़े और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मानव कल्याण के लिए अपनी आजीविका का एकमात्र साधन जे.ई की सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर अपने परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया और आज जन जन तक सत्य ज्ञान ��हुंचा दिया।
संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्मगुरुओं को शास्त्रार्थ के लिए आमंत्रित किया लेकिन कोई भी धर्मगुरु शास्त्रार्थ करने नहीं आया, क्योंकि उनका ज्ञान शास्त्र विरुद्ध है। संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी धर्मगुरुओं के ज्ञान को मीडिया के द्वारा लाईव दिखाया और अपना शास्त्र अनूकूल ज्ञान भी, जिसे देख कर लोग सत्य ज्ञान से परिचित हुए और उनसे जुड़ने लगे और देखते ही देखते अनुयायियों की संख्या लाखों से करोड़ों में पहुंच गई। नकली धर्मगुरुओं के अनुयाई उन्हें धिक्कार ने लगें और सवाल करने लगे कि आज तक आपने हमें गुमराह क्यों किया। अपनी बदनामी के डर से नकली धर्मगुरुओं ने संत रामपाल जी महाराज जी को बदनाम करने के लिए एक षडयंत्र रचा।
सभी जगह उनका विरोध हुआ, मुकदमे हुये, जेल भी हुई। लेकिन कहते हैं कि, सच्चा संत कभी लड़ता नहीं, और डरता भी नहीं।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं :- "परमात्मा का ये ज्ञान उनके बच्चों तक पहुँचा के छोडूंगा, चाहे कुछ भी बीतै मेरे साथ। फिर जेल क्या जान जाओ।"
इसी संघर्ष का परिणाम है कि लोग सत्य ज्ञान को समझकर उनसे दीक्षा ले रहे हैं, बुराइयां त्याग रहे हैं। जीने की एक नई राह अपना रहे हैं। आज़ देश ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, लंदन जैसे देशों में भी लोग उनकी पुस्तकें मंगवाकर पढ रहे हैं और दीक्षा प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताये गए मार्ग पर चलकर नशा, दहेज, अंधविश्वास, पाखंडवाद,चोरी, बेईमानी, रिश्वत, जीव हत्या आदि से दूर होकर नेक जीवन जीने लगे हैं। उनके अनुयाई मानव सेवा के लिए रक्तदान तथा देहदान तक कर रहे हैं। बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ का सपना भी संत रामपाल जी महाराज जी साकार कर रहे हैं। उनके अनुयायियों को विवाह की ऐसी सरल विधि बताई है संत रामपाल जी महाराज ने दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) की, जिससे लाखों बेटी सुखी जीवन व्यतीत कर रही है।
ऐसे महान दयालु संत यदा कदा ही धरती पर अवतरित होते हैं जो मानव कल्याण के लिए अपना खुशहाल घर परिवार, J.E. की नौकरी तक त्याग दी। अपनी जान की भी परवाह नहीं की।
संत रामपाल जी महाराज ने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सतज्ञान के प्रचार के लिए अपनी जान हथेली पर रख दी। नौकरी और घर सब कुछ त्यागकर सतज्ञान का प्रचार किया। अपने जीवन के कीमती समय को जेल में भी बिताया। जेल में रहकर मानव समाज को एक से एक पुस्तकें लिखकर दी। और आज़ सत्य ज्ञान को पूरे विश्व में जन जन तक पहुंचाने में कामयाब रहे।
आइए आज हम सभी ऐसे महान संत रामपाल जी महाराज जी के सत्य ज्ञान के बारे में सबको बताएं। जिससे परमात्मा के चाहने वाले श्रद्धालु उनसे उपदेश लेकर अपना कल्याण करवा सके। ऐसे महान संत के त्याग और बलिदान को हमें व्यर्थ नहीं जाने देना है।
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17 फरवरी 2024 : संत रामपाल जी महाराज का बोध दिवस
सर्वशक्तिमान परमेश्वर समय-समय पर अमर लोक से आकर इस मृत्युलोक में अवतरित होते हैं। वर्तमान वे महान संत रामपाल जी महाराज के रूप में दिव्य लीला कर रहे हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 17 फरवरी का दिन सतगुरु रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरकारी नौकरी करने वाले संत रामपाल जी के जीवन में 37 वर्ष की आयु में एक ऐसा मोड़ आया कि एक महान संत ने उनकी राह बदल दी। जी हाँ स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के तत्वज्ञान से प्रभावित होकर 17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी ने अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की। यह हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने की अमावस्या का दिन था।
सतगुरू मिलै तो इच्छा मेटैं, पद मिल पदै समाना।
चल हँसा उस लोक पठाऊँ, जो आदि अमर अस्थाना।।
बोध दिवस का महत्व:-🌼
संतमत में बोध दिवस भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन होता है। परमेश्वर कबीर साहेब कहते हैं, वह दिन शुभ है जब एक साधक ने सतगुरु को पाया और नाम-दीक्षा ली, क्योंकि दीक्षा से पहले जीवन के सभी दिन व्यर्थ थे।
कबीर, जा दिन सतगुरु भेटियां, सो दिन लेखे जान।
बाकी समय गंवा दिया, बिना गुरु के ज्ञान।।
जब कोई साधक सतगुरु की शरण में आता है, तो वह उनके ज्ञान को ग्रहण कर मनुष्य के स्थान पर देवता बनने की राह में लग जाता है। वह दिन उसके जीवन का विशेष दिन होता है क्योंकि उस दिन साधक को जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझ में आता है। मानव जन्म की सच्ची अनुभूति होने के कारण इस दिन को बोध दिवस कहा जाता है।
बोध के लिए सतगुरु क्यों जरूरी हैं?
परमेश्वर कबीर साहेब ने कहा है:
कबीर, गुर�� बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल है, पूछो वेद पुराण।।
गुरु के बिना यदि नाम जाप की माला फिराते (नाम का जाप) हैं और दान देते हैं, वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आपको संदेह हो तो वेदों और पुराणों में प्रमाण देखें।
• श्री राम और श्री कृष्ण तीनों लोकों के मालिक थे, उन्होंने भी गुरु बनाकर भक्ति की और मानव जीवन सार्थक किया।
• पुराणों में प्रमाण है कि श्री रामचन्द्र जी ने ऋषि वशिष्ठ जी से नाम दीक्षा ली थी और अपने घर व राज-काज में गुरू वशिष्ठ जी की आज्ञा लेकर कार्य करते थे। श्री कृष्ण जी ने ऋषि संदीपनि जी से अक्षर ज्ञान प्राप्त किया तथा श्री कृष्ण जी के आध्यात्मिक गुरू श्री दुर्वासा ऋषि जी थे।
लोकवेद के आधार पर शास्त्रविरूद्ध भक्ति व्यर्थ हैं!
कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दीन्हा हाथ।।
गुरु के बिना देखा-देखी कही-सुनी भक्ति को लोकवेद कहते हैं। यह शास्त्रविरूद्ध ज्ञान होता है जैसे कि:
• हनुमान जी की भक्ति: मंगलवार का व्रत, बूंदी का प्रसाद, ओम् नाम का जाप, आदि।
• शिव जी की भक्ति: ओम् नमो शिवायः मंत्र का जाप।
• विष्णु जी की भक्ति: ओम् भगवते वासुदेवायः नमः मंत्र का जाप।
सतगुरु शास्त्रविधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रूपी दीपक देकर जीवन को नष्ट होने से बचाते हैं। सतगुरु की शरण में जाने से पहले उपरोक्त साधना संत रामपाल दास किया करते थे तथा पूरा हिन्दू समाज कर रहा है, जोकि गीता-वेदों में वर्णित न होने से शास्त्र विरूद्ध साधना हैं यानी व्यर्थ है।
कबीर, गुरू बिन काहु न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छडे़ मूढ़ किसाना।
कबीर, गुरू बिन वेद पढै़ जो प्राणी, समझै न सार रहे अज्ञानी।।
इसलिए सतगुरु का महत्व है। गुरु से शास्त्रानुकूल भक्ति की साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाता है।
संत रामपाल जी महाराज का जीवन परिचय:-🌼
संत रामपाल जी महाराज समस्त सतलोक आश्रमों के संचालक हैं जो पवित्र शास्त्रों के अनुसार कबीर भगवान का सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। नास्त्रेदमस जी ने अपनी भविष्यवाणी में लिखा है कि स्वतंत्रता के 4 वर्ष बाद 1951 में भारत में एक महान संत का जन्म होगा जो पूरे विश्व को नये आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित कराएगा। उन्होंने 1994 से 1998 तक गांव-गांव, नगर-नगर में घर-घर जाकर आध्यात्मिक प्रवचनों के माध्यम से सत्संग किया। 1999 में हरियाणा के रोहतक जिले के करौंथा में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना कर उन्होंने प्रत्येक महीने की पूर्ण मासी और अमावस्या को आश्रम में सत्संग समारोह करना प्रारंभ कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज का आरंभिक जीवन और शिक्षा:- 📓
रामपाल जी का जन्म 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के सोनीपत जिले के धनाना गांव में हुआ था। उन्होंने 1973 में सिविलइंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और हरियाणा सरकार में जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया।
संत रामपाल जी की आध्यात्मिक यात्रा :-
• 1988 में संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद से दीक्षा ली और आध्यात्मिकता में रुचि लेने लगे।
• उन्होंने भगवत् गीता, कबीर सागर, गरीबदास जी रचित सत ग्रंथ, और सभी पुराणों ��हित कई आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया।
• संत रामपाल जी ने सतज्ञान को शास्त्रों के प्रमाण सहित प्रस्तुत किया।
संत रामपाल जी महाराज को नाम दीक्षा देने का आदेश
• 1993 में स्वामी रामदेवानंद ने संत रामपाल जी को उपदेश देना शुरू करने के लिए कहा।
• 1994 में स्वामी रामदेवानंद ने संत रामपाल जी को अपना उत्तराधिकारी चुना।
• संत रामपाल जी ने हरियाणा के विभिन्न गांवों और शहरों में भ्रमण करके सत ज्ञान जन जन तक पहुंचाकर लोकप्रियता प्राप्त की।
• 1995 में उन्होंने जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूर्णकालिक रूप से आध्यात्मिक कार्य में जुड़ गए।
• आज सन्त रामपाल जी महाराज के लाखों अनुयायी हैं जो भारत और दुनिया भर में फैले हुए हैं।
संत रामपाल जी के साथ हुए अनर्गल विवाद:-
• संत रामपाल जी की बढ़ती लोकप्रियता से चिढ़कर नकली संतो ने उनके ज्ञान को अपनाने की जगह उल्टे उन पर कई आरोप लगाए, जिनमें धार्मिक भावनाओं को आहत करना जैसे आरोप शामिल हैं।
• 2014 में उनके अनुयायियों पर पुलिस ने हमला कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हुए और पुलिस की आँसू गैस से छह लोगों की मौत हो गई।
• संत रामपाल जी 2014 से ही जेल लीला में हैं पर जेल में रहकर भी वे सतज्ञान का संचार कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान और बुराइयों का समूल नाश
आज पूरी दुनिया में बुराइयाँ बड़े स्तर पर फैली हुई हैं। नशा, दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, परस्त्री गमन, भ्रष्टाचार, जातीय भेदभाव, धार्मिक भेदभाव, हिंसा, लड़ाई झगड़े आदि बुराइयाँ समाज को कैंसर की तरह खोखला कर रही हैं। लेकिन संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान इन बुराइयों का समूल नाश करने में सक्षम है। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर लाखों लोग इन बुराइयों को त्यागकर सदाचारी जीवन जी रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज धार्मिक ग्रंथों से सच्चे ज्ञान का प्रचार कर रहें हैं। वे बताते हैं कि इन बुराइयों से बचने का एकमात्र तरीका है परमेश्वर की सच्ची भक्ति करना। सच्ची भक्ति केवल नाम दीक्षा से प्राप्त होती है। नाम दीक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति को परमेश्वर का नाम दिया जाता है। परमेश्वर का नाम जपने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं और वह बुराइयों से दूर रहता है और उसके पुण्यों में वृद्धि होती हैं।
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से समाज में सकारात्मक बदलाव आ रहे है। लोग सदाचारी जीवन जीने लगे हैं और समाज में शांति और प्रेम का माहौल बन रहा है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो साबित करते हैं कि कैसे संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान बुराइयों का समूल नाश कर रहा है:
• नशा: संत रामपाल जी महाराज नशे के खिलाफ सख्त हैं। वे कहते हैं कि नशा एक बहुत बड़ी बुराई है जो व्यक्ति के जीवन को तबाह कर देता है। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया है।
• दहेज प्रथा: दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है जो लड़कियों और उनके परिवारों पर बहुत दबाव डालती है। संत रामपाल जी महाराज दहेज प्रथा के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि दहेज प्रथा एक अपराध है और इसे समाज से मिटाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने दहेज प्रथा को त्याग दिया है।
• भ्र���ण हत्या: भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ा पाप है। संत रामपाल जी महाराज भ्रूण हत्या के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि भ्रूण हत्या एक हत्या है और इसे किसी भी कीमत पर ख़त्म किया जाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने भ्रूण हत्या करने का विचार त्याग दिया है।
• रिश्वतखोरी: रिश्वतखोरी एक सामाजिक बुराई है जो समाज को कमजोर करती है। संत रामपाल जी महाराज रिश्वतखोरी के खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि रिश्वतखोरी एक अपराध है और इसे समाज से मिटाना चाहिए। उनके ज्ञान से प्रेरित होकर कई लोगों ने रिश्वत लेने और देने से मना कर दिया है।
यहां केवल कुछ उदाहरण मात्र हैं। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सभी बुराइयों का समूल नाश करने में सक्षम है और कर रहा है। यदि आप भी इन बुराइयों से मुक्ति चाहते हैं, तो आपको संत रामपाल जी महाराज का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और उनसे नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण कराना चाहिए। संत रामपाल जी महाराज कलयुग में फिर से सतयुग जैसा माहौल खड़ा करने में प्रयासरत हैं।
उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, फिरता दाने दाने नू।
सर्व कलां सतगुरु साहेब की, हरि आए हरियाणे नू।।
बोध दिवस समारोह 2024 :-
इस साल 17, 18, 19, 20 फरवरी 2024 को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का बोध दिवस मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर निःशुल्क विशाल भंडारा, निःशुल्क नाम दीक्षा व 17 से 20 फरवरी तक 4 दिवसीय खुले पाठ का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही, 20 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज के सत्संग का विशेष प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9:15 बजे (IST) पर अवश्य देखें। वहीं इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आप हमारे निम्न सोशल मीडिया Platform पर भी देख सकते हैं
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आयोजन स्थल हैं :
1. Satlok Ashram Dhanana Dham, Sonipat (Haryana)
2. Satlok Ashram Mundka (Delhi)
3. Satlok Ashram Dhuri (Punjab)
4. Satlok Ashram Sojat (Rajasthan)
5. Satlok Ashram Shamli (Uttar Pradesh)
6. Satlok Ashram Kurukshetra (Haryana)
7. Satlok Ashram Bhiwani (Haryana)
8. Satlok Ashram Khamano (Punjab)
9. Satlok Ashram Dhanusha (Nepal)
10. Satlok Ashram Betul (Madhya Pradesh)
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*🎯संत रामपाल जी महाराज जी के 37वें बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य🎯*
परम संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर, 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में जाट किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करने के बाद हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। संत रामपाल जी महाराज जी की आस्था देवी देवताओं की भक्ति में विशेष होने के कारण जगह जगह साधु संतों से अध्यात्मिक चर्चा करते थे जिनके फलस्वरूप उनकी मुलाकात स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से हुई और उनसे प्रभावित होकर उन्होंने 17 फरवरी सन् 1988 को 37 वर्ष की आयु में फाल्गुन महीने की अमावस्या की रात्रि में दीक्षा प्राप्त की। 1994 में अपने गुरुदेव रामदेवानंद जी के आदेश अनुसार नाम दीक्षा देने लगे। अपनी नौकरी से 21/05/1995 को इस्तीफा दे दिया और पूर्णतः नामदान देने लग गए। अपने गुरुदेव की आज्ञा पालन करने के लिए संत रामपाल जी महाराज ने अपना घर, बच्चे, नौकरी छोड़कर, सर्वस्व परमात्मा की सेवा के लिए समर्पित कर दिया ।
विरोध के बावजूद भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान रुका नहीं जन जन तक लोगों में अलख क्रांति जगाई । लोग संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़���े गए और उनके सत्य ज्ञान को पहचानते गए। आज जनता के सामने सच्चाई भी उजागर हुई।
दोस्तों यह तो सच है कि जब भी किसी कार्य में परिवर्तन किया जाता है तो विरोध होना लाजमी है किंतु यह बड़े स्तर पर संत रामपाल जी महाराज जी का संघर्ष चल रहा है जो न केवल आध्यात्मिक क्षेत्र में बल्कि आर्थिक, सामाजिक, न्यायिक, राजनीतिक सभी क्षेत्र में एक सुधार का कार्य कर रहे हैं । संत रामपाल जी महाराज जी एक स्वच्छ समाज का निर्माण करना चाहते हैं जिससे जनता सुखी हो सके और अपने एक परमपिता परमेश्वर की पहचान कर सकें।
अतः आप सभी से करबद्ध प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तक "ज्ञान गंगा" को अवश्य पढ़ें और उनके द्वारा दी गई संपूर्ण जानकारी को सभी शास्त्रों से मिलान करें तब आप सच्चाई से परिचित हो पाएंगे।
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⭐️संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य⭐️
संत रामपाल जी महाराज कौन हैं ?
गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध।।
संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ-साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले तत्वदर्शी संत हैं। जिसकी पहचान गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई गई है।
साथ ही विश्व के अनेकों प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं नास्त्रेदमस, फ्लोरेंस, राजस्थान के रामदेवरा वाले रामदेव, जयगुरुदेव, एंडरसन जैसे अनेकों भविष्यवक्ताओं के अनुसार संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान में धरती पर अवतरित तारणहार संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को भारतवर्ष के हरियाणा प्रांत में एक छोटे से गांव - धनाना, तहसील - गोहाना, जिला - सोनीपत में हुआ। संत जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से 37 वर्ष की आयु में नाम दीक्षा प्राप्त हुई।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सतगुरु रामपाल जी महाराज सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को भगवान भरोसे से छोड़कर और एक मात्र आजीविका के साधन जे.ई. की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और चल पड़े बहुत बड़े उद्देश्य को सफल बनाने के लिए।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में अमन चैन कायम हो, आपसी भाईचारा हो, समस्त मानव समाज को तमाम कुप्रथाओं तथा हर बुराइयों से दूर करके सत्य ज्ञान और सतभक्ति प्रदान करना, धरती को स्वर्ग समान बनाना। और इसलिए सतगुरु रामपाल जी महाराज जी अपना सर्वस्व त्याग कर कठिन संघर्ष कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने सबसे पहला नारा दिया:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू- मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि, सभी मानव जो कि अनेकों अलग अलग धर्मों में बंटे हुए हैं वह सभी फिर से एक हों, क्योंकि सभी मानव एक ही परमेश्वर की संतान हैं। आपस में भाईचारा कायम हो, विश्व में सभी शांति से सुखी जीवन व्यतीत करें। इसी उद्देश्य से संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
नौ मण सूत उलझिया, ये ऋषि रहे झख मार।
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।
आज तक हमारे धर्म ग्रंथों में लिखी हुई वास्तविक सच्चाई, आध्यात्मिक मार्ग के बहुत से ऐसे अनसुलझे रहस्य जो किसी भी धर्मगुरुओं ने नहीं बताया और ना ही कोई समाज सुधार कर सके।
लेकिन सतगुरु संत रामपाल जी महाराज ने नौ मण सूत रुपी आध्यात्मिक ज्ञान को ऐसा सुलझा दिया है कि अब आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति मार्ग में किसी को कोई शंका ही नहीं बची। संत रामपाल जी महाराज ने हमारे सदग्रंथों को खोलकर प्रमाण के साथ सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और सतभक्ति मार्ग, पूर्ण मोक्ष प्राप्ति मंत्र बताया। साथ ही समाज सुधार भी कर रहे हैं। आज़ लाखों लोगों ने संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके दिक्षा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलकर सभी बुराईयों तथा कुरीतियां जैसे कि दहेज, नशा, मृत्यु भोज, पाखंडवाद, अंधविश्वास, भ्रूणहत्या, चोरी, ठगी, बेईमानी, जीव हत्या, अपहरण, फिल्म, सिरियल, नाच गाना आदि त्यागकर नेक इंसान बनकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संत जी के अनुयायी मानव सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। संत जी के बताए मार्ग पर चलकर उनके करोड़ों अनुयाई परमार्थ सेवा में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा जगह जगह रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है, ताकि मुश्किल समय में किसी की जान बचाई जा सके।
नशा एक अभिशाप:-
संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए सत्संगो में नशे से होने वाले नुक़सान और पाप के बारे में बताया जाता है, जिससे लाखों लोगों ने नशा छोड़ दिया और सुखमय जीवन जीने लगे हैं। लोग नशीली वस्तुओं को छूते तक नहीं है। और ना ही नशीली वस्तुओं के लिए किसी का सहयोग करते हैं। और इसलिए आज़ बहुत से नशे के कारण उजड़े हुए परिवार फिर से नशा मुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जीव हत्या महापाप:-
जैसा दर्द आपने होवे, वैसा जान बिरानै।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि, अपने फैशन और जीभ के स्वाद की खातिर मासूम जीवों को बेरहमी से मारते हो। जब आपको थोड़ी सी चोट लगने पर दर्द होता है, तो क्या उन बेजुबानों को दर्द नहीं होता जिनका आप गला काटते हों। ऐसा पाप कर्म करने वाले को नरक में भी स्थान नहीं मिलता। इसलिए आज़ संत रामपाल जी महाराज जी का कोई भी अनुयाई चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करते।
परनारी को देखिए बहन बेटी के भाव:-
संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी पराई स्त्री को मां, बहन बेटी की दृष्टि से देखते हैं। जिससे स��ाज में बहन बेटियों को सम्मान मिलता है। अपहरण, रेप जैसी घटनाएं बंद होंगी। बहन बेटियां भी सुरक्षित महसूस करती हैं।
संत रामपाल जी महाराज से
दिक्षा लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे पहला नियम यही है कि, समस्त बुराईयों से आजीवन दूर रहने तथा आजीवन नशा न करना, न छूना, साथ ही सभी मर्यादा निभाने का संकल्प लिया जाता है।
ऐसे समाज सुधारक परम संत जिनका मुख्य उद्देश्य है कि, सभी मानव बुराईयों तथा कुरीतियों से मुक्त होकर शांति से रहें, आपसी भाईचारा कायम हो, फिर से भारत विश्व गुरु तथा सोने की चिड़िया कहलाए, समाज में छुआ-छूत, जाति मजहब के झगड़े कभी न हो, धरती स्वर्ग समान बने इसके लिए जेल में रहते हुए भी कठीन संघर्ष कर रहे हैं। अलग अलग पंथों द्वारा फैलाए गए अज्ञान के किलों का नाश करने के लिए घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अपने जीवन के कितने कीमती वर्ष जेल में भी बिताने पड़े । लेकिन फिर भी
अपने उद्देश्य को लेकर डटे रहे, अपने मानव कल्याण के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया, अनेकों अत्याचार सहे, झूठे मुकदमे झेले, जेल तक चले गए, अपनी जान की भी परवाह नहीं की। लेकिन इन सबकी परवाह ना करते हुए। संत रामपाल जी महाराज मानव सेवा, समाज सुधार और जन जन तक सतभक्ति पहुंचाने में सफल हुए। एक अद्भुत अद्वितीय कार्य को शिखर पर पहुंचाया। जिससे आज़ सर्व मानव समाज को सतभक्ति सुलभ हुई। मानव कल्याण के अद्भुत उद्देश्य का ही परिणाम है कि आज़ विश्वभर में लोग बुराईयों को त्यागकर सतभक्ति करते हुए शांति पूर्ण जीवन जी रहे हैं।
समस्त मानव समाज से निवेदन है कि आप सभी संत रामपाल जी महाराज जी को पहचानकर उनकी शरण ग्रहण करें और अपना अनमोल मनुष्य जीवन सफल बनाएं।
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*🎯संत रामपाल जी महाराज जी के 37वें बोध दिवस पर जानिए अद्भुत रहस्य🎯*
परम संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर, 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में जाट किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करने के बाद हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। संत रामपाल जी महाराज जी की आस्था देवी देवताओं की भक्ति में विशेष होने के कारण जगह जगह साधु संतों से अध्यात्मिक चर्चा करते थे जिनके फलस्वरूप उनकी मुलाकात स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से हुई और उनसे प्रभावित होकर उन्होंने 17 फरवरी सन् 1988 को 37 वर्ष की आयु में फाल्गुन महीने की अमावस्या की रात्रि में दीक्षा प्राप्त की। 1994 में अपने गुरुदेव रामदेवानंद जी के आदेश अनुसार नाम दीक्षा देने लगे। अपनी नौकरी से 21/05/1995 को इस्तीफा दे दिया और पूर्णतः नामदान देने लग गए। अपने गुरुदेव की आज्ञा पालन करने के लिए संत रामपाल जी महाराज ने अपना घर, बच्चे, नौकरी छोड़कर, सर्वस्व परमात्मा की सेवा के लिए समर्पित कर दिया ।
विरोध के बावजूद भी संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान रुका नहीं जन जन तक लोगों में अलख क्रांति जगाई । लोग संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़ते गए और उनके सत्य ज्ञान को पहचानते गए। आज जनता के सामने सच्चाई भी उजागर हुई।
दोस्तों यह तो सच है कि जब भी किसी कार्य में परिवर्तन किया जाता है तो विरोध होना लाजमी है किंतु यह बड़े स्तर पर संत रामपाल जी महाराज जी का संघर्ष चल रहा है जो न केवल आध्यात्मिक क्षेत्र में बल्कि आर्थिक, सामाजिक, न्यायिक, राजनीतिक सभी क्षेत्र में एक सुधार का कार्य कर रहे हैं । संत रामपाल जी महाराज जी एक स्वच्छ समाज का निर्माण करना चाहते हैं जिससे जनता सुखी हो सके और अपने एक परमपिता परमेश्वर की पहचान कर सकें।
अतः आप सभी से करबद्ध प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तक "ज्ञान गंगा" को अवश्य पढ़ें और उनके द्वारा दी गई संपूर्ण जानकारी को सभी शास्त्रों से मिलान करें तब आप सच्चाई से परिचित हो पाएंगे।
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संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस पर अद्भुत रहस्य जानिए
संत रामपाल जी महाराज जी कौन हैं ?
गरीब, सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कह अठारा बोध।।
पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी विश्व में एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं, जो चार वेद, छह शास्त्रों के साथ-साथ सभी धर्मों के पवित्र सदग्रंथों के ज्ञाता अर्थात सदग्रंथों में छूपे हूए गूढ़ रहस्यों को जानने वाले हैं। और शास्त्रों के आधार से ही प्रमाणित सतभक्ति विधि तथा ज्ञान बताने वाले तत्वदर्शी संत हैं। जिसकी पहचान श्रीमद्भागवत गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 में बताई गई है।
साथ ही विश्व के अनेकों प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं नास्त्रेदमस, फ्लोरेंस, राजस्थान के रामदेवरा वाले रामदेव, जयगुरुदेव, एंडरसन जैसे अनेकों भविष्यवक्ताओं के अनुसार संत रामपाल जी महाराज ही वर्तमान में धरती पर अवतरित तारणहार संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 08 सितंबर 1951 को भारतवर्ष के हरियाणा प्रांत में एक छोटे से गांव - धनाना, तहसील - गोहाना, जिला - सोनीपत में हुआ। संत जी ने अपनी पढ़ाई पूरी करके हरियाणा के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988, फाल्गुन महिने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज जी से 37 वर्ष की आयु में नाम दीक्षा प्राप्त हुई।
सन् 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने सतगुरु रामपाल जी महाराज सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन् 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को भगवान भरोसे से छोड़कर और एक मात्र आजीविका के साधन जे.ई. की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और चल पड़े बहुत बड़े उद्देश्य को सफल बनाने के लिए।
संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने सबसे पहला नारा दिया:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू- मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य विश्व में अमन चैन कायम हो, आपसी भाईचारा हो, समस्त मानव समाज को तमाम कुप्रथाओं तथा हर बुराइयों से दूर करके सत्य ज्ञान और सतभक्ति प्रदान करना, धरती को स्वर्ग समान बनाना। और इसलिए सतगुरु रामपाल जी महाराज जी अपना सर्वस्व त्याग कर कठिन संघर्ष कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि, सभी मानव जो कि अनेकों अलग अलग धर्मों में बंटे हुए हैं वह सभी फिर से एक हों, क्योंकि सभी मानव एक ही परमेश्वर की संतान हैं। आपस में भाईचारा कायम हो, विश्व में सभी शांति से सुखी जीवन व्यतीत करें। इसी उद्देश्य से संत रामपाल जी महाराज का समाज सुधार में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
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